37 साल के क्लर्क ने EPFO के खाते से उड़ा दिए करीब 21 करोड़ रुपए, घोटाले के लिए 817 बैंक खातों का किया इस्तेमाल

नई दिल्ली।

पिछले साल मार्च से इस साल जून महीने तक जब देशभर में लोग कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहे थे, तब कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ का एक क्लर्क करोड़ों रुपए का घोटाला करने में जुटा था। ईपीएफओ के इस घोटालेबाज क्लर्क ने इस कारनामे को मुंबई ऑफिस के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर अंजाम दिया। दावा किया जा रहा है कि इसमें कथित तौर पर करीब 21 करोड़ रुपए के पीएफ फंड का घोटाला हुआ।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह फंड एक कॉमन पीएफ पूल था। इस घोटाले के लिए ईपीएफओ के क्लर्क ने फर्जी निकासी का सहारा लिया। ईपीएफओ की जांच में इस घोटाले का मास्टरमाइंड चंदन कुमार सिन्हा है, जिसकी उम्र महज 37 साल है। चंदन ईपीएफओ के कांदिवली स्थित ऑफिस में क्लर्क पद पर तैनात है। इसने करीब 21 करोड़ का घोटाला करने के लिए 817 बैंक अकांउट का इस्तेमाल किया। ये सभी बैंक अकाउंट प्रवासी मजदूरों के थे। इनके जरिए करीब 21 करोड़ निकालकर सिन्हा ने उन्हें अपने खाते में जमा कर लिया।

हालांकि, जिन खातों से पैसे निकाले गए, उनमें करीब 90 प्रतिशत रकम किसी और अकाउंट में ट्रांसफर कर लिया गया। जांच में नाम सामने के बाद से घोटालेबाज क्लर्क चंदन कुमार सिन्हा फरार है। ईपीएफओ सिन्हा समेत उन पांच कर्मचारियों को फिलहाल निलंबित कर दिया है, जो इस घोटाले में शामिल हैं। कहा यह भी जा रहा है कि ईपीएफओ की आंतरिक जांच पूरी होने के बाद पूरे मामले को सीबीआई को सौंप दिया जाएगा।

यह भी पढ़ें:- EPFO: इस महीने आपके PF खाते में आ सकता है मोटा पैसा, जानिए कैसे चेक करें डिटेल

फिलहाल आंतरिक जांच कांदिवली ऑफिस में ही हो रही है, मगर इस घोटाले के सामने आने के बाद ईपीएफओ के सभी ऑफिसों को अलर्ट भेज दिया गया है। बता दें कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ ग्राहकों और वित्तीय लेन-देन के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा सोशल सिक्योरिटी संगठन है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर ईपीएफओ व्यक्तिगत रूप से बचत की गई करीब 18 लाख करोड़ रुपए की रकम का लेन-देन व्यवस्थित करता है।

आधिकारिक सूत्रों की मानें तो घोटाले में किसी ग्राहक के व्यक्तिगत अकाउंट का दुरुपयोग नहीं किया गया है बल्कि, इसमें वही रकम निकाली गई, जो पूल फंड थी। यह सीधे तौर पर ईपीएफओ को नुकसान है। इसमें किसी व्यक्ति का नुकसान नहीं है। इस घोटाले के सामने आने के बाद ईपीएफओ अपनी प्रक्रिया को बदलने जा रहा है। इससे सभी निकासी को भविष्य में सुरक्षित किया जा सकेगा। ईपीएफओ ने कांदिवली ने ऑफिस से हुए करीब 12 लाख पीएफ क्लेम की आतंरिक जांच का आदेश भी दिया है। यह क्लेम मार्च 2019 से अप्रैल 2021 के बीच हुए हैं।

यह भी पढ़ें:- EPFO: PF Account से जुड़ा यह काम आज ही कर लें, नहीं तो कंपनी का पैसा आपके खाते में जमा नहीं होगा

दिलचस्प तरीके से हुआ घोटाले का पर्दाफाश
ईपीएफओ के घोटालेबाज क्लर्क चंदन कुमार सिन्हा ने वर्ष 2005 में बिहार के गया स्थित मगध यूनिवर्सिटी से फिलॉसफी में ग्रेजुएशन किया। जुलाई में घोटाला सामने आने के बाद वह अस्पताल में भर्ती हुआ और तब से गायब है। एक अधिकारी ने बताया कि उसके पास महंगी कारें और कई स्पोर्ट्स बाइक भी है। इसमें हार्ले डेविडसन भी शामिल है। यह घोटाला तब सामने आया है जब ईपीएफओ को एक बिना नाम-पते की शिकायती चिठ्ठी मिली। माना जा रहा है कि यह शिकायत चंदन के किसी रिश्तेदार ने की थी। इसमें उसकी लाइफस्टाइल का जिक्र भी किया गया था।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/3xXGUyu

Comments

Popular Posts

Batla House Encounter में पुलिस टीम ने क्यों नहीं पहनी थी बुलेटप्रूफ जैकेट?

कोरोना के कहर के बीच 2020 में ओडिशा में रोजाना 8 का बलात्कार और 4 की हत्या

नर्मदा से निकालकर स्टॉक की गई अवैध रेत जब्त - राजस्व, पुलिस और खनिज विभाग की संयुक्त टीम ने घाना में की कार्रवाई